जबलपुर-
जबलपुर के पनागर ब्लॉक के बम्हनौदा में नाबार्ड
द्वारा सिंघाड़ा उत्पादकों की आय में वृद्धि करने के लिए उत्पादन में तकनीकी हस्तक्षेप
और प्रसंस्करण पर परियोजना संचालित की जा रही है। जबलपुर, संभाग सिंघाड़े का एक प्रमुख
उत्पादक है और जबलपुर की सिहोरा मंडी, सिंघाड़ा के आगमन के मामले में भारत की दूसरी
सबसे बड़ी मंडी है। जबलपुर में सिंघाड़ा की आपूर्ति श्रृंखला को विकसित करने की लिए
यह परियोजना संचालित की जा रही है। कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी ने बम्हनौदा में सिंघाड़ा
प्रसंस्करण इकाई का अवलोकन कर सिंघाड़े से बना उत्पादों का जायजा लिया। नाबार्ड डीडीएम
श्री अपूर्व गुप्ता ने प्रसंस्करण इकाई में उबलब्ध सुविधायों से कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा
को अवगत कराया। इस इकाई में सिंघाड़े का आटा, नमकीन, आचार, लड्डू, आदि बनाये जाते हैं।
जिससे सिंघाड़े का प्रसंस्करण स्थानीय स्तर पर करके ज्यादा आमदानी प्राप्त की जा सकती
है। कलेक्टर ने कहा कि जहां ज्यादा सिंघाड़ा का उत्पादन होता है वहां इस तरह की अन्य
इकाइयों को स्थापित करने के लिए प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के
अंतर्गत प्रकरण बनवाने का निर्देश उद्यानिकी विभाग को दिया।
कलेक्टर ने सिंघाड़ा किसानों से विचार-विमर्श
किया। किसानों ने बताया की पिछले 5 वर्षों से सिंघाड़ा फसल में लाल रोग लागने के कारण
सिंघाड़े की उपज आधी से भी कम हो गयी है। कलेक्टर ने लाल रोग की पहचान और उसका निराकरण
के लिए भी उचित कदम उठाए जाने का आश्वासन दिया। किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्र और
कृषि विश्वविद्यालय में लाल रोग के संबंध में जानकारी दी हुई है एवं वैज्ञानिक इस संबंध
में जांच कर रहे हैं। इस दौरान किसानों ने सिंघाड़े की फसल के लिए किसान क्रेडिट कार्ड
की सुविधा का लाभ के संबंध में भी चर्चा की। किसानों ने बताया कि सिंघाड़े की खेती अन्य
फसलों से महंगी होती है, प्रति एकड़ लगभग रु 40 हजार रुपये की लागत आती है। अत: इस संबंध
में किसान क्रेडिट कार्ड के लिए ऋणमान तय करने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने की मांग
की गई। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा ने सिंघाड़े की फसल में लगे रोग को देखने के लिए बम्हनौदा
तालाब का निरीक्षण कर सिंघाड़े की फसल को देखा। सिंघाड़ा प्रसंस्करण यूनिट के भ्रमण के
दौरान श्री अपूर्व गुप्ता, नाबार्ड डीडीएम एवं श्रीमति नेहा पटेल, उप संचालक, उद्यानिकी
एवं श्री मुकेश सौंधिया, परियोजना समन्वयक उपस्थित थे।