कोरोना के संदिग्ध रोगी मिलने के बाद हैलट, संक्रामक रोग अस्पताल, उर्सला और निजी अस्पतालों में हड़कंप की स्थिति पैदा हो गई है। अगर रोगी आते हैं तो पैरा मेडिकल स्टाफ के भागने का भी खतरा पैदा हो गया। अस्पतालों में अभी सभी डाक्टरों और कर्मचारियों को पर्याप्त मास्क उपलब्ध नहीं कराए गए हैं।
हैलट प्रबंधन ने पांच हजार 95 मास्क का आर्डर दिया है। सबसे अधिक हड़कंप की स्थिति संक्रामक रोग अस्पताल में है। कोरोना वार्ड इसी अस्पताल में बनाया गया है। यहां भी तैयारियां अधूरी हैं। अस्पताल में सिर्फ एक ही वेंटीलेटर है। शासन गुरुवार को वीडियो कॉंफ्रेंसिंग करेगा।
हैलट प्रबंधन ने पांच हजार 95 मास्क का आर्डर दिया है। सबसे अधिक हड़कंप की स्थिति संक्रामक रोग अस्पताल में है। कोरोना वार्ड इसी अस्पताल में बनाया गया है। यहां भी तैयारियां अधूरी हैं। अस्पताल में सिर्फ एक ही वेंटीलेटर है। शासन गुरुवार को वीडियो कॉंफ्रेंसिंग करेगा।
हैलट के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके मौर्या ने बताया कि अस्पताल के पास अभी दो हजार मास्क उपलब्ध हैं। इसके अलावा सामान्य सर्जरी मास्क का इस्तेमाल करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। जिस कंपनी को आर्डर भेजा गया है उसके पास भी मास्क नहीं है।
वह दो-तीन दिन में उपलब्ध करा पाएगी। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा उर्सला, ट्रॉमा सेंटर में भी सभी डाक्टरों और स्टाफ के लिए पर्याप्त मास्क नहीं है। संक्रामक रोग अस्पताल का स्टाफ डरा हुआ है।
निजी अस्पतालों में भी मास्क की व्यवस्था की जा रही है। कानपुर नर्सिंगहोम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एमके सरावगी का कहना है कि स्टाफ के भाग जाने का भी डर है। बचाव सबसे अच्छा तरीका है।
वह दो-तीन दिन में उपलब्ध करा पाएगी। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों तथा उर्सला, ट्रॉमा सेंटर में भी सभी डाक्टरों और स्टाफ के लिए पर्याप्त मास्क नहीं है। संक्रामक रोग अस्पताल का स्टाफ डरा हुआ है।
निजी अस्पतालों में भी मास्क की व्यवस्था की जा रही है। कानपुर नर्सिंगहोम एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. एमके सरावगी का कहना है कि स्टाफ के भाग जाने का भी डर है। बचाव सबसे अच्छा तरीका है।