पूरी दुनिया में कोरोनावायरस के खौफ के बीच दून में भी सरकारी सिस्टम इस चुनौती से निपटने की तैयारी में जुट गया है। अस्पतालों में व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है। सुकून की बात यह है कि अभी तक देहरादून में इसका एक भी मामला प्रकाश में नहीं आया है। लेकिन, देशभर में कुछ मरीज सामने आने के बाद पूरा सिस्टम अलर्ट है।
बिना आईसीयू कोरोना से कैसे निपटेंगे
कोरोना की दहशत के बीच देहरादून में आईसीयू की कमी ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। जिले की लाखों की आबादी दून अस्पताल के केवल पांच बेड के भरोसे है। वहीं, राजधानी तक में एक भी आइसोलेशन आईसीयू नहीं है।
सभी जगह कोरोना से पीड़ित या संदिग्ध लक्षण वाले मरीजों को आईसीयू में रखकर उपचार दिया जा रहा है। राजधानी दून में भी स्वास्थ्य विभाग कोरोना के खिलाफ अपनी तैयारियां पुख्ता करने का दावा कर रहा है। जबकि सच्चाई ये है कि यहां संक्रमण फैलने पर उपचार मुश्किल हो सकता है। जिले के सरकारी अस्पतालों में आईसीयू के केवल पांच बेड हैं। उन पर भी मरीजों का दबाव बहुत ज्यादा रहता है।
बिना आईसीयू कोरोना से कैसे निपटेंगे
कोरोना की दहशत के बीच देहरादून में आईसीयू की कमी ने सबकी चिंता बढ़ा दी है। जिले की लाखों की आबादी दून अस्पताल के केवल पांच बेड के भरोसे है। वहीं, राजधानी तक में एक भी आइसोलेशन आईसीयू नहीं है।
सभी जगह कोरोना से पीड़ित या संदिग्ध लक्षण वाले मरीजों को आईसीयू में रखकर उपचार दिया जा रहा है। राजधानी दून में भी स्वास्थ्य विभाग कोरोना के खिलाफ अपनी तैयारियां पुख्ता करने का दावा कर रहा है। जबकि सच्चाई ये है कि यहां संक्रमण फैलने पर उपचार मुश्किल हो सकता है। जिले के सरकारी अस्पतालों में आईसीयू के केवल पांच बेड हैं। उन पर भी मरीजों का दबाव बहुत ज्यादा रहता है।
एम्स में भी दबाव बहुत ज्यादा
संक्रामक रोग होने के कारण कोरोना के मरीज को आइसोलेशन आईसीयू की जरूरत पड़ेगी ताकि अन्य मरीजों पर संक्रमण न हो। लेकिन किसी भी अस्पताल में इसकी व्यवस्था नहीं है। निजी अस्पतालों में हालांकि आईसीयू के काफी बेड हैं लेकिन इनमें भी गिनती के आइसोलेशन आईसीयू है। यहां भी खाली बेड ढूंढ पाना आसान नहीं होता।
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) ऋषिकेश में आईसीयू के 105 बेड हैं। लेकिन यहां मरीजों का दबाव बहुत ज्यादा है। पूरे उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में मरीज यहां उपचार कराने आते हैं।
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) ऋषिकेश में आईसीयू के 105 बेड हैं। लेकिन यहां मरीजों का दबाव बहुत ज्यादा है। पूरे उत्तराखंड के साथ ही हिमाचल और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में मरीज यहां उपचार कराने आते हैं।
हेल्थ इंश्योरेंस में कवर है कोरोनावायरस
कोरोनावायरस से फैले खौफ के बीच हेल्थ इंश्योरेंस को लेकर भी तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या कोरोनावायरस का इलाज हेल्थ पॉलिसी में शामिल है या नहीं? क्या नई पॉलिसी में इसका लाभ मिलेगा? ऐसे तमाम सवालों के जवाब दिए बाजार विशेषज्ञ नितिन रॉक्सवैल ने।
पुरानी पॉलिसी में मिलेगा लाभ
अगर आपने कोई हेल्थ पॉलिसी पहले से खरीदी हुई है तो आप कोरोना का इलाज भी करा सकते हैं। यानी किसी व्यक्ति को कोरोनावायरस होने के बाद पॉलिसी के नजरिए से घबराने की जरूरत नहीं है। हां, अगर कोरोना से पीड़ित होने के बाद कोई पॉलिसी खरीदी तो यह इलाज कवर नहीं होगा।
पुरानी पॉलिसी में मिलेगा लाभ
अगर आपने कोई हेल्थ पॉलिसी पहले से खरीदी हुई है तो आप कोरोना का इलाज भी करा सकते हैं। यानी किसी व्यक्ति को कोरोनावायरस होने के बाद पॉलिसी के नजरिए से घबराने की जरूरत नहीं है। हां, अगर कोरोना से पीड़ित होने के बाद कोई पॉलिसी खरीदी तो यह इलाज कवर नहीं होगा।
नई पॉलिसी में होती है 30 दिन की वेटिंग
अगर आपने आज कोई नई हेल्थ पॉलिसी खरीदी है तो कोरोना या अन्य किसी भी बीमारी के इलाज की सुविधा आपको 30 दिन के बाद ही मिलेगी। विशेषज्ञ के मुताबिक, पॉलिसी खरीदने पर 30 दिन के भीतर किसी को कोरोनावायरस हो जाता है तो उसे लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि, एक्सीडेंट होने की स्थिति में शर्तें अलग होती हैं।
मलेरिया, स्वाइन फ्लू, डेंगू की तरह होगा कवर
किसी भी हेल्थ पॉलिसी में मलेरिया, डेंगू या स्वाइन फ्लू के लिए जो इंतजाम किए गए हैं, ठीक वैसे ही प्रावधान कोरोनावायरस के लिए भी किए गए हैं। अन्य अप्रत्याशित बीमारियों की तरह इसे भी हेल्थ इंश्योरेंस कवर मिलता है।
मलेरिया, स्वाइन फ्लू, डेंगू की तरह होगा कवर
किसी भी हेल्थ पॉलिसी में मलेरिया, डेंगू या स्वाइन फ्लू के लिए जो इंतजाम किए गए हैं, ठीक वैसे ही प्रावधान कोरोनावायरस के लिए भी किए गए हैं। अन्य अप्रत्याशित बीमारियों की तरह इसे भी हेल्थ इंश्योरेंस कवर मिलता है।