जबलपुर - गणपति उत्सव के साथ ही महाराष्ट्रीयन परिवारों में महालक्ष्मी की आगमन भी होता है। मान्यता के अनुसार ज्येष्ठा और कनिष्ठा लक्ष्मी सगी बहने हैं जो भाद्रपद मास में अपने मायके आती हैं। तीन दिवसीय इस आयोजन की तैयारी कई दिन पूर्व से प्रारंभ हो जाती है। गणपति के पारत ही इन्हें विराजित किया जाता है अत: विशेष साज सज्जा की जाती है। संजीवनी नगर निवासी श्रीमती जया पागे, एवं श्री मति प्रीति पागे ने बताया कि उनके पास महालक्ष्मी की प्राचीन धातु की मुखौटे रूप में प्रतिभाएं हैं। उनकी स्थापना के समय सुंदर आभूषणों से श्रृंगार किया गया, साथ ही पुष्पों,रंगोली और तोरण आदि से घर-आंगन को भी सजाया गया है। महारानी का तो पारंपरिक श्रृंगार होगा ही है साथ ही पूजा करने हेतु महिलाएं भी सोलह श्रृंगार करतीं है। विशेष पकवानों की सुंगध से घर महक उठल और इस बार महालक्ष्मी के लिए 56 भोग बनाए गए। अपने शहर मे भी महालक्ष्मी के अवसर पर पूर्ण मराठी संस्कृति के दर्शन हुए।
