विनिर्माण
सेवाओं और कृषि आधारित इकाइयों की स्थापना
हेतु
अनुसूचित जाति वर्ग के हितग्राहियों से प्रस्ताव आमंत्रित
जबलपुर, 22 अगस्त, 2022
राज्य शासन द्वारा संचालित मुख्यमंत्री
अनुसूचित जाति विशेष परियोजना अन्तर्गत विभिन्न विभागों के माध्यम से विनिर्माण
इकाई तथा सेवाओं से संबंधित कृषि आधारित ईकाईयों की स्थापना के लिये अनुसूचित जाति
वर्ग के आवेदकों को अधिकतम दो करोड़ रूपये राशि तक के प्राप्त प्रस्ताव पर संपूर्ण
परियोजना लागत की राशि अनुदान स्वरूप देने का प्रावधान है। कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा
टी ने अनुसूचित जाति वर्ग के अधिक से अधिक हितग्राहियों से योजना का लाभ लेने की
अपील की है।
राज्य शासन ने योजना के क्रियान्वयन के लिए
म.प्र. राज्य सहकारी अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम को नोडल एजेन्सी बनाया है।
संबंधित विभागों से प्राप्त परियोजना प्रस्तावों को विभागीय अनुशंसा उपरान्त मुख्य
सचिव की अध्यक्षता में गठित परियोजना क्रियान्वयन समिति द्वारा अनुमोदन प्राप्त
होने के बाद अनुदान राशि जारी की जायेगी।
परियोजना अन्तर्गत ली जाने वाली गतिविधियॉं
में मुख्यत: उद्योग (विनिर्माण) एवं सेवा क्षेत्र से संबंधित कृषि आधारित
परियोजनाएं- एग्रो प्रोसेसिंग, फूड प्रोसेसिंग, कोल्ड स्टोरेज, मिल्क प्रोसेसिंग, केटल फीड, पॉल्ट्री फीड, फिश
फीड, कस्टम हायरिंग सेंटर, बेजीटेबल
डीहाईड्रेशन, टिश्यू कल्वर, मसाला
निर्माण, सीड ग्रडिंग व शॉर्टिग, ग्रामोद्योग,
हस्तशिल्प कला से जुड़े परियोजनाऐं हैं जिसे अनुसूचित जाति के
हितग्राही समूह को ध्यान में रखते हुए तैयार की जा सकती है।
संबंधित विभागों द्वारा निर्धारित मापदंडों
के अनुसार प्राप्त परियोजना प्रस्ताव ही मान्य होंगे। विभिन्न संबंधित विभागों
जैसे-कृषि विभाग,
पशुपालन विभाग, मत्स्य विभाग, उद्यानिकी विभाग, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग,
ऊर्जा विभाग, तकनीकी एवं कौशल उन्नयन विभाग,
आयुष विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण
विभाग आदि विभागों अथवा जिला कलेक्टरों के माध्यम से प्राप्त होने वाले विशेष
परियोजना प्रस्ताव इसमें शामिल हैं। योजनान्तर्गत संबंधित विभागों से प्राप्त
परियोजना प्रस्तावों को राज्य परियोजना क्रियान्वयन समिति की अनुशंसा के आधार पर
शत-प्रतिशत अनुदान शासन द्वारा स्वीकृत
किये जाने पर निगम द्वारा देय होगा।
मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति विशेष परियोजना वित्त
पोषण योजना के आवेदन प्रक्रिया एवं आवेदन पत्रों के निराकरण, क्रियान्वयन,
सहायता प्राप्त उद्यमों की स्थापना और उद्यमियों की समस्याओं आदि
विषयों की समीक्षा के लिए जिला स्तर पर कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित समिति
द्वारा त्रैमासिक आाधार पर अथवा आवश्यकतानुसार समीक्षा की जायेगी।