जिन विषयों पर बात करने से कतराती हैं महिलाएं, वहीं कश्मीर की इरफाना ने शुरू कर दी ये मुहिम - DIGITAL MIRROR

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जिन विषयों पर बात करने से कतराती हैं महिलाएं, वहीं कश्मीर की इरफाना ने शुरू कर दी ये मुहिम


 

कश्मीर घाटी की बेटी इरफाना जरगर ने महिलाओं के मुश्किल भरे दिनों में होने वाली दिक्कतों से निजात के लिए ‘ईवा सेफ्टी डोर’मुहिम शुरू की है। इस मुहिम के तहत वह महिलाओं के लिए बनाए गए सार्वजनिक शौचालयों में एक किट रख रही हैं, जो महिलाओं को माहवारी के दौरान होने वाली परेशानियों से निजात दिलाएगी। घाटी की महिलाओं के लिए आठ मार्च यानी महिला दिवस से पहले यह तोहफा है।
 

श्रीनगर के डाउन टाउन इलाके के नौशेरा इलाके की रहने वाली इरफाना जरगर (29) ने यह कदम उस समाज में उठाया है जहां माहवारी जैसे विषयों पर महिलाएं सार्वजनिक रूप से बात करने से भी कतराती हैं।
 
श्रीनगर म्युनिसिपल कारपोरेशन के ग्रिवांस सेल (शिकायत प्रकोष्ठ) में तैनात और सामाजिक कार्यकर्ता इरफाना बताती हैं कि हर रोज सैकड़ों महिलाएं दूर दराज के इलाके से लाल चौक किसी न किसी काम से आती हैं। ऐसे में माहवारी के चलते कई बार महिलाओं को भारी समस्या का सामना करना पड़ता है। 
 


 इस अभियान की बड़ी खासियत



 



इस समस्या को लेकर वह किसी से खुलकर बात भी नहीं कर सकती। इसलिए मैंने उन्हें इन परेशानियों से बचने के लिए एक पहल शुरू की है। अगर किसी महिला के साथ अचानक ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाएं तो वह यहां से मदद ले सकती है। अगर वहां सामान न मौजूद हो तो वह उनके नंबर पर कॉल कर सकती हैं। उन्हें उसी जगह किट पहुंचा दी जाएगी। इस अभियान की खासियत यह है कि इरफाना इसे अपने निजी खर्च से चला रही हैं। 

इस किट में सेनेटरी नेपकिन, सेनेटाइजर, महावरी के दर्द की दवाएं, टॉवल और पैंटी होंगी। ये सुविधा पूरी तरह निशुल्क है। इरफाना के मुताबिक उन्होंने इसकी शुरुआत श्रीनगर के लाल चौक से कर दी है। बुधवार को उन्होंने यह किट पांच शौचालयों में रखी है। आने वाले दिनों में बाकी जगहों पर भी इस किट को रखा जाएगा।
 




पिता की याद में महिलाओं के लिए बनवाया शौचालय



इरफाना के पिता की मृत्यु 2013 में हुई थी। उन्होंने अपने पिता की याद में श्रीनगर की कोर्ट रोड पर महिलाओं के लिए एक शौचालय का निर्माण किया था। इरफाना के मुताबिक वह भविष्य में भी ऐसे शौचालय बनवाएंगी।

अभियान से मिलेगी राहत 
इरफाना के इस प्रयास की महिलाओं ने सराहना की है। बिसमा अली नाम की एक छात्रा ने कहा कि इस प्रयास से हर महिला को लाभ मिलेगा। अक्सर माहवारी सार्वजनिक स्थलों पर कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर महिलाओं के शौचालय में ऐसी सुविधा होगी तो हर ज़रूरतमंद महिला को मदद मिल पाएगी। इस अभियान में और लोगों को आगे आना चाहिए।



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