झारखंड में सरकारी तंत्र की लापरवाही का एक मामले सामने आया है। अपने पति की मृत्यु के बाद पेंशन के लिए एक महिला सरकारी तंत्र की लापरवाही की वजह से 40 साल इंतजार करना पड़ा। अंत में हाईकोर्ट के आदेश के बाद उसे न्याय मिला। इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है, साथ ही राज्य सरकार को महिला को दस प्रतिशत ब्याज के साथ पेंशन देने का मंगलवार को आदेश दिया।
न्यायमूर्ति डॉ. एसएन पाठक की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि पेंशन देना राज्य सरकार का काम है। सरकारी अधिकारियों के कारण ही इतने दिनों से पेंशन लंबित रही। पीठ ने सरकार को याचिकाकर्ता को दस प्रतिशत ब्याज के साथ पेंशन देने का आदेश दिया है।
पेंशन के लिए लगभग 40 वर्ष से भटक रही महिला जसुमति पिंगुआ ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। प्रार्थी के अधिवक्ता शादाब बिन हक ने पीठ को बताया कि प्रार्थी के आवेदन के बाद भी सरकार की ओर से उन्हें पेंशन नहीं दी गई। अधिवक्ता ने हाईकोर्ट के एसके मस्तान मामले में दिए गए आदेश का हवाला देते हुए कहा कि पेंशन का दावा देर से करने के कारण पेंशन नहीं देना नियम के खिलाफ है। अदालत ने माना कि दावा देर से करने पर किसी की पेंशन नहीं रोकी जा सकती ।
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता जसुमति पिंगुआ के पति पश्चिम सिंहभूम जिले के टक्कर बापा उच्च विद्यालय में शिक्षक थे। वर्ष 1976 में उनकी मृत्यु हो गई थी। उसके बाद उन्होंने पेंशन के लिए सरकार से गुहार लगाई। पेंशन नहीं मिलने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।